hindi kahani
तब मैं ऐसी नहीं थी। लोग समझते हैं मैं सदा की ऐसी ही हूँ—मोटी, चौड़ी, भारी-भरकम, क्षितिज की परिधि को चीरकर अनंत को शांत बनाती, संसार के एक सिरे से लेकर दूसरे सिरे तक लेटी हुई। वह पुराना इतिहास है। कोई क्या जाने!
कोई बारह बज चुके थे। दुनिया के पर्दे से स्वप्न की रानी झाँक रही थी—विजेता की भाँति, उसके नूपुर के मिलन-गीत से पृथ्वी मूर्छित-सी होती जाती थी। वकील केशव के उस बड़े मकान के सभी कमरों की बत्तियाँ बुझ चुकी थीं, केवल सहाना का कमरा तब भी बिजली-शिखा से उज्ज्वल उषादेवी मित्र
इसी प्रकार हमें सपोर्ट करते रहें और अपने विचार हम तक पहुंचाते रहे
प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।
उनका हाथ काबू में ना रहने के कारण हाथ हिलकर क्रोकरी गिरकर टूट गई। इस पर मदन की पत्नी ने बाजार से एक लकड़ी का बर्तन सेट ले आई, जिसमें थाली-कटोरी आदि शामिल था।
बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।
के दूसरे बेटे ने इससे भी आगे सोचा। वह इस नतीजे पर पहुंचा कि शहर में सबसे सस्ता तो
इसके बाद गुरु ने उसे योग विद्या सिखाई जिससे वह अपनी सांसे रोक कर मुरदे जैसी अवस्था में घंटो तक रह सकता था। यह सब सिखाने के बाद गुरु ने उसे एक योजना बताई और उसे घर भेज दिया।
उसी हिंदी के सामने 'उसने कहा था' की वो हिंदी जो आज भी इसलिए ताज़ा और समकालीन लगती है क्योंकि वो एक ओर तो जीवित-व्यावहारिक भाषा को रचना का आधार बनाती है और दूसरी ओर वो इस भाषा की व्यंजनाओं को विरल विलक्षण आँख से पकड़ती है.
ऐसी 'हिंदी', जो आज के अकादमिक, सांस्थानिक और राजकीय-राजनीतिक प्रयासों से अपठनीय बना दी गई है और जो साधारण हिंदी भाषियों के लिए दुरुह और अजनबी हो चुकी है.
" किरन अभी भोरी थी। दुनिया में जिसे भोरी कहते हैं, वैसी भोरी नहीं। उसे वन के राधिका रमण प्रसाद सिंह
शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।
घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।
''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर